Thursday, 23 February 2017

उपन्यास पब्लिश होने से पहले ही “अमित खान” के उपन्यासों के राइट्स बिके

Displaying Amit Khan & Arbaaz Khan.jpgअमित खान आज किसी परिचय के मोहताज नहीं. हिंदी थ्रिलर उपन्यासों की दुनिया में वह एक बड़ा नाम है. उनके लिखे100 से ज्यादा उपन्यास अभी तक प्रकाशित हो चुके है. इतना ही नहीं अब उनके उपन्यास बड़े प्रकाशन संस्थानों द्वारा अंग्रेजी और मराठी भाषा में भी प्रकाशित हो रहे हैं. वह बॉलीवुड में भी काफी सक्रिय हैं. उनके द्वारा लिखित कई हिंदी फिल्में और टी.वी. सीरियल अभी तक टेलीकास्ट हो चुके हैं. मराठी फिल्में भी वह कर रहे हैं. संजय लीला भंसाली प्रोडक्शन की “लाल इश्क“ रिलीज़ हो चुकी है, जो उन्ही की कहानी पर आधारित है और “मनमोहन देसाईं प्रोडक्शन” की फिफ्टी-फिफ्टी शीघ्र रिलीज़ होने वाली है. इतना ही नहीं- उन्होंने डायमंड कॉमिक्स भी बहुत लिखे है, जो हिंदी, अंग्रेजी, और बंगाली भाषा में प्रकाशित हुए. सबसे बड़ी बात कि अभी उनके २ उपन्यासों के फिल्म राइट्स २ प्रोडूसरस ने परचेज किये हैं. वो उपन्यास, जो अभी प्रकाशित भी नहीं हुए. आइये, उन्ही अमित खान से बातचीत करते हैं.

लेखन का यह सफ़र शुरू कैसे हुआ ?
मुझे खुद नहीं मालूम. १२ वर्ष उम्र थी, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन की लाइफ पर पहली कहानी लिखी और वह छप गयी. तबसेलिखने और छपने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह आज तक जारी है. मेरा पहला उपन्यास भी मात्र १५ वर्ष की आयु में पब्लिश हो गया था. अभी तक कोई १०५ उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. इतना ही नहीं शोर्ट स्टोरीज भी पब्लिश हो चुकी है. अंग्रेजी पत्रिका वुमेन्स इरा से लेकर मनोहर कहानियाँ और नवभारत टाइम्स तक सब जगह मेरी कहानियां प्रकाशित हुई है.
उपन्यासों पर फिल्म बनाने को आप कितना सही मानते हैं?
आज बॉलीवुड में राइटर तो बहुत है, लेकिन अच्छे लिखने वाले लेखकों की यहाँ बहुत कमी है. फ्रेश और यूनिक थॉट है ही नहीं. फिल्म में कहानी से ज्यादा स्क्रीन प्ले मायने रखता है और मैं समझता हूँ- हर कहानी में एक यू.एस.पी. होनी चाहिए. उस यू.एस.पी. पर ही पूरी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनती है. उसी पर करोड़ों लगते है. कई बार अच्छी स्क्रिप्ट होती है, लेकिन उसमें कोई यू.एस.पी. नहीं होती. बॉलीवुड में तो बुक्स पर फिल्म बनाने का सिलसिला अब शुरू हुआ है, लेकिन हॉलीवुड में तो बहुत पहले से है. हालांकि गुलशन नंदा जी के उपन्यासों पर बहुत फिल्में बनी हैं. चेतन भगत के उपन्यासों पर भी अच्छी फिल्में बनी हैं. खुद मेरे पास प्रोडूसर्स की तरफ से अच्छे ऑफर्स आ रहे हैं. मेरे दो उपन्यासों के राइट जिन पर मैं अभी काम ही कर रहा था, उपन्यास प्रिंट होने से पहले ही फिल्म के लिए खरीद लिए गए. एक राइट मिस्टर धवल गाढ़ा (पेन इंडिया) ने ख़रीदे और दूसरे उपन्यास के राइट एक एन.आर.आई बिजनेसमैन मिस्टर प्रदीप रंगवानी ने ख़रीदे. जिस पर “रेड अफेयर’ के नाम से फिल्म भी बननी शुरू हो चुकी है- जिसमें अरबाज़ खान मुख्य भूमिका निभा रहे हैं.
कोई और प्रोजेक्ट?
हाँ, आजकल “युवी फिल्म्स” के लिए कॉमेडी फिल्म पर भी काम कर रहा हूँ- जिसका नाम “सुसाइड सर्कस” है. यह मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है. इस फिल्म में, मैं मिस्टर अमिताभ बच्चन को कास्ट करना चाहता हूँ. स्क्रिप्ट कम्पलीट होते ही सबसे पहले उन्ही के पास जाना है.
आपकी पहचान तो एक थ्रिलर राइटर के तौर पर है, फिर यह कॉमेडी फिल्म?
मुझे लगता है कि अगर आप सेंसिबल राइटर हैं, तो आप कुछ भी लिख सकते हैं.. मेरी लव स्टोरीज भी बहुत पब्लिश हुई है. मैंने कॉमेडी स्टोरीज भी बहुत लिखी हैं. इतना ही नहीं - “सुसाइड सर्कस” मेरी ही एक शॉट स्टोरी पर बेस्ड है.
गुड! सुना है कि आपका एक यू - टयूब चैनल भी है.
जी हाँ, “अमित खान की चौपाल” के नाम से मेरा एक यू-टयूब चैनल भी है, जो अभी शुरू हुआ है और जिसको बहुत अच्छा रेस्पांस मिल रहा है. इस चैनल पर मेरी आवाज़ में मेरी कहानियां और कवितायें हैं. मेरा यह चैनल एक बड़ी कंपनी “पी.के ऑन लाइन” हैंडल कर रही है. इतना ही नहीं- “अमित खान की चौपाल” के बाद मेरे पास कुछ रेडियो से भी ऑफर आने शुरू हो गए हैं. चैनल चाहते हैं कि मैं ‘निलेश मिश्रा’ की तरह अपनी कहानियां रेडियो पर सुनाऊं. जैसे ही किसी रेडियो चैनल्स के साथ कोई डील फाइनल होती होती है, मैं आपको बताऊंगा.

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