Sunday, 17 September 2017

मैं यहां विलेन बनने आया था -- अंकुर भाटिया


कैसे फिल्म की शुरुआत हुयी ?
मैं न्यूयॉर्क में फिल्मों के लिए काम करता थाजब अपूर्व लखिया सर एक बार वहाँ अपनी फिल्म शूटआउट 
एट लोखंडवाला की स्क्रीनिंग के लिए वहाँ आये हुए थेउनसे बातचीत हुयीनंबर लियाफिर कुछ समय बाद जब मैं मुंबई आया और अपूर्व सर से मिला तब तक उनकी फिल्म जंजीर शुरू हो चुकी थीतो मेरे लिए उसमें कोई काम नहीं थाएक दो महीने मैं लोगों से मिला लेकिन कोई काम नहीं हुआ,फिर जब जाने लगा तो अपूर्व का काल आया और किसी विलेन के लिए रोल था , मैंने वो कियाउसी बीच साउथ की 2 फिल्में भी कर लियाउसके बाद कई फिल्में मिली लेकिन बन नहीं पायी , लेकिन उसके बाद मुझे सरबजीत मिली , उसमें जमकर मैंने काम किया .उसके बाद हसीना की शुरुआत हुयी.
हसीना की जर्नी कैसी रही ?
अपूर्व ने मुझे इब्राहिम पारकर का किरदार दिया जिसकी कद काठी मेरी ही तरह थी . उसके लिए मैंने ऑडिशन दिया . लेकिन मुझसे एक सवाल भी किया की जाकर पता करके आओ की आखिर तुमने दाऊद की बहन से शादी क्यों की ? मैंने पूरी कहानी पता की और बहुत ही दिलचस्प चीजें सामने आयीमैं काफी रिसर्च की
इब्राहिम पारकर जो इंसान था वो फिल्मों में स्टंटमैन का काम करता थाउसके बाद पारकर परिवार के लोगों से भी मिलना जुलना हुआउन्होंने बताया की बहुत ही मजाकिया हुआ करते थेशुद्ध वेज रेस्टोरेंट चलाया करते थेये सब बातें मैंने खुद के भीतर डालीं और उसके बाद वर्कशॉप ही कियापूरी स्टोरी याद हो गयी थी
आगे की फिल्में ?
अभी तक के अनुभव के अनुसार मेरे प्लान करने से कुछ नहीं होता , बस मिलना जुलना हो रहा हैलेकिन 
अभी सिर्फ हसीना के रिलीज का इन्तजार है 
टाइपकास्ट होने का डर है ?
नहींमुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगताक्योंकि किरदार को निभाना पहली वरीयता होती हैअच्छी कहानी होती है तो जरूर करता हूँहाल ही 

में मैंने एक रेपिस्ट का किरदार मना कर दिया है
आगे की तमन्ना क्या है ?
मैं यहां विलेन बनने आया था , लेकिन वो मुझे बनाया नहीं गया है

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